अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र अनुष्ठान के दौरान प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थान में श्रीराम कथा सुनने का अवसर सौभाग्य से मिलता है। परम पूज्य गुरुदेव शांतिकुंज को गायत्री तीर्थ के रूप में स्थापित किया है। यह एक जाग्रत तीर्थ है। गायत्री साधना के पवित्र और महत्त्वपूर्ण स्थान है। गायत्री साधना के साथ श्रीराम कथा का श्रवण से मन और आत्मा दोनों शुद्ध व निर्मल होता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्रयागराज की महिमा को अलौकिक कहते हैं।
मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यानमाला में उपस्थित देश विदेश से गायत्री तीर्थ शांतिकुंज आये गायत्री साधकों को संबोधित कर रहे थे। अध्यात्म क्षेत्र के प्रखर विचारक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि मनोयोगपूर्वक साधना करने से साधक की दृष्टि निर्मल होती है। साधक का व्यक्तित्व कैलाश शिखर की भांति पवित्र और दिव्य होता है। जैसे कैलाश पर्वत अपनी स्थिरता, महानता और शांति के लिए प्रसिद्ध है, वैसे ही साधक की दृष्टि भी साधना के माध्यम से विकसित और स्पष्ट के प्रति जागरूक होती है। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख ने कहा कि भगवान शिव योगविद्या के स्रोत एवं परम आचार्य हैं। योग साधना की गहनता को सरलता से सिखाने में माहिर हैं। उनकी साधना और ज्ञान की गहराई ही परम आचार्य की परिभाषा है, जो साधकों को सरलता से गहन योग साधना के मार्ग पर मार्गदर्शन देते हैं। इससे पूर्व संगीत विभागों के भाइयों ने ‘आओ मन में बसा लें श्रीराम को, चलों तन से करें प्रभु काम को’ भाव गीत से साधकों के साधनात्मक मनोभूमि को पुष्ट किया। श्रोताओं ने भावविभोर हो गीत एवं संदेश का श्रवण किया। इस अवसर पर व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि, पं. शिवप्रसाद मिश्र सहित भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों से आये गायत्री साधक उपस्थित रहे।